जानी, हम तुम्हें मारेंगे और जरूर मारेंगे..... लेकिन वह बंदूक भी हमारी होगी गोली भी हमारी होगी.... और वक्त भी हमारा होगा........, raj kumar dialogues
Top 33 Raj kumar ke dialogues
एक ऐसा एक्टर जो था
पहले पुलिस इंस्पेक्टर, एक ऐसा कलाकार जो 40 साल तक अपनी आवाज़ के लिए मशहूर था, पर आखिर में इनके खुद के
आवाज़ ने ही इनका साथ छोड़ दिया, इनको मिली प्रस्सिधि बेशुमार, वो
हैं non other then legendry एक्टर राज कुमार ( Raj Kumar ).
ना तलवार की धार से.., ना गोलियों की बौछार से.....
बंदा डरता है, तो सिर्फ परवर दिगार से......
Legendary एक्टर राज कुमार ( raj kumar ) का जन्म
ब्रिटिश इंडिया के समय पर बलुचिस्तान ( baluchistan ) में हुआ था | राज कुमार एक
कश्मीरी पंडित थे, और उनका असली नाम कुलभूषण नाथ पंडित था.
राज कुमार, उनके डायलॉग बोलने का अंदाज कुछ ऐसा
होता था कि लोग उनके डायलॉग्स को बार-बार सुनते थे,
राजकुमार जी ने 40 साल के फिल्मी
करियर में बहुत सारी फिल्में बनाई जिसमें से ज्यादातर फिल्में उनके डायलॉग बोलने
के अंदाज के वजह से हिट हुई.
तो चलिए पेश करते आप लोग सामने राजकुमार जी
के सुपर हिट डायलॉग्स.
( Super hit dialogues of raj
kumar ) ( raj kumar dialogues )
सूर्या ( 1989 )
राजस्थान में हमारी भी ज़मीनत है, और तुम्हारे हैसियत के जमींदार..
हर सुबह हमें सलाम करने हमारी हवेली पर आते रहते हैं..
हम वो कलेक्टर नहीं जिनका फूंक मारकर तबादला किया जा सकता है,
कलेक्ट्री तो हम, शौक से करते हैं रोजी रोटी के लिए नहीं...
दिल्ली तक बात मशहूर है कि..
राजपाल चौहान के हाथों में तंबाकू का पाइप और जेब में इस्तीफा रहता है....
राजतिलक ( 1984 )
आपके लिए मैं जहर को भी दूध की तरह पी सकता हूं...
लेकिन अपने खून में आपके लिए दुश्मनी के कीड़े नहीं पाल सकता...
जंगबाज ( 1989 )
बच्चे, बहादुर सिंह कृष्ण प्रसाद एक बार मौत की डायरी में जिसका नाम लिख देता है..
उसे यमराज भी नहीं मिटा सकता....
तिरंगा ( 1992 )
जो भारी ना हो, वह दुश्मनी ही क्या.....
ना तलवार की धार से.. ना गोलियों की बौछार से...
बंदा डरता है, तो सिर्फ परवरदिगार से....
हम आंखों से सुरमा नहीं चुराते... हम आंखें ही चुरा लेते हैं...
अपना तो उसूल है पहले मुलाकात, फिर बात
और फिर अगर जरूरत पड़ी तो लात...
हम तुम्हे वह मौत देंगे, जो ना तो किसी कानून की किताब में लिखी होगी..
और ना ही कभी किसी मुजरिम ने सोची होगी....
बेताज बादशाह ( 1994 )
औरों की जमीन खोदोगे तो उसमें से मिट्टी और पत्थर मिलेंगे...
और हमारी जमीन खोदोगे तो उसमें से हमारे दुश्मनों के सर मिलेंगे.....
अगर सांप काटते ही पलट जाए तो उसके जहर का असर होता है, वरना नहीं....
हम सांप को काटने की इजाजत तो दे सकते हैं, लेकिन पलटने की नहीं......
हम अपने कदमों की आहट से, हवा का रुख बदल देते हैं.....
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मरते दम तक ( 1987 )
दादा तो दुनिया में सिर्फ दो है..
एक ऊपर वाला और दूसरे हम...
यह तो शेर की गुफा है..
यहां अगर तुमने करवट भी ली, तो समझो मौत को बुलावा दिया...
बोटियां नोचने वाला गीदड़.....
गला फाड़ने से शेर नहीं बन जाता....
इस दुनिया में तुम पहले और आखिरी बदनसीब कमीनी होगे...
जिसकी ना तो अर्थी उठेगी, ना ही किसी कंधे का सहारा सीधे चिता जलेगी.....
हम कुत्तों से बात नहीं करते....
सौदागर ( 1991 )
काश तुमने हमें आवाज दी होती...
तो हम मौत के नींद से उठ कर चले आते....
ताकत पर, तमीज की लगाम जरूरी है...
लेकिन इतनी नहीं कि बुजदिली बन जाए...
शेर को सांप और बिच्छू काटा नहीं करते.....
दूर ही दूर से रेंगते हुए निकल जाते हैं....
( Famous )
जानी, हम तुम्हें मारेंगे और जरूर मारेंगे.....
लेकिन वह बंदूक भी हमारी होगी गोली भी हमारी होगी....
और वक्त भी हमारा होगा........
जब राजेश्वर दोस्ती निभाता है तो अफ़साने लिखे जाते है....
और जब दुश्मनी करता है तो तारीख बन जाती है...
जंगबाज ( 1989 )
महाकाल, तुमने तो सिर्फ मौत के खड्डे खोदे हैं, जरा नजरें उठाओ और ऊपर देखो.
हमने तुम्हारे लिए मौत के फरिश्ते बुला रखे हैं..
जो तुझे उठाकर मौत के खड्डे में डाल देंगे और दफना देंगे.....
पुलिस पब्लिक ( 1990 )
कौवा ऊंचाई पर बैठने से कबूतर नहीं बन जाता...
मिनिस्टर साहब !!!
बुलंदी (1980 )
इरादा पैदा करो इरादा,, इरादे से आसमान का चांद भी.....
इंसान के कदमों पर सजदा करता है......
और फिर तुमने सुना होगा तेजा....जब सर पर बुरे दिन मंडराते हैं.....
तो ज़बान लंबी हो जाती है.....
बिल्ली के दांत गिरे नहीं और चला शेर के मुंह में हाथ डालने......!!
यह बदतमीज हरकतें अपने बाप के सामने घर के आंगन में करना.....
सड़कों पर नहीं......
वक्त ( 1965 )
यह बच्चों के खेलने की चीज नहीं.....
हाथ कट जाए, तो खून निकल आता है....
जिनके अपने घर शीशे के हो, वह दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते....
पाकीजा ( 1972 )
चलो यहां से, यह किसी दलदल में कोहरे से बनी हुई हवेली है....
जो किसी को पनाह नहीं दे सकती.....यह बड़ी खतरनाक जगह है...
गॉड एंड गन ( 1995 )
घर का पालतू कुत्ता भी जब कुर्सी पर बैठ जाता है तो उसे उठा दिया जाता है.........
इसलिए कि कुर्सी उसके बैठने की जगह नहीं.......
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